देहरादून/धारी। धारी ब्लाक के मझेड़ा गाँव की गंगा बिष्ट को महिला उद्यमिता के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य करने के लिए विज्ञान प्रयोगधर्मी महिला सम्मान प्रदान किया गया है। उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क), सूचना एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग, उत्तराखण्ड शासन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 के तहत 25 मार्च को संस्कृति विभाग के प्रेक्षा गृह देहरादून में आयोजित एक समारोह में गंगा को यह सम्मान प्रदान किया गया।
समाज सेविका सास बसंती बिष्ट मिली प्रेरणा
मझेड़ा की महिला उद्यमी गंगा बिष्ट ने अपने आस-पास की अन्य महिलाओं को एक स्वयं सहायता समूह में संगठित़ कर उद्यमिता के लिए प्रेरित किया और कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन, उत्पाद निर्माण एवं विपणन में बेहतर कार्य किया है।
गंगा की सास बसंती बिष्ट गैर-सरकारी संगठन (चिराग) से जुड़कर पिछले 30 वर्षों से एक संघर्षशील समाज सेविका का दायित्व निभा रही हैं, जिनसे प्रेरित होकर गंगा ने भी आस-पास की महिलाओं को संगठित करके स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने का सफल प्रयास किया है। उन्होंने स्वयं के प्रयासों से आस-पास की नौ (09) महिलाओं को ‘साईं’ उत्पादक समूह में संगठित किया, उन्हें सूक्ष्म बचत करना सिखाया, और साथ ही बैंक से लेन-देन करने के लिए महिलाओं में आत्मविश्वास जगाया।
आज महिलाओं में बैंक संबंधी लेन-देन को लेकर उत्साह एवं आत्मविश्वास है
महिलायें आरम्भ में 50 रुपये ही मासिक सूक्ष्म बचत के रूप में जमा कर पाती थी, आज यही मासिक बचत राशि बढ़ कर 200 रुपये हो चुकी है। अब महिलायें आपस में न्यूनतम 5000 से अधिकतम 25000 रुपये तक आंतरिक ऋण का लेन-देन भी कर रही हैं। फलतः आज महिलाओं में बैंक संबंधी लेन-देन को लेकर उत्साह एवं आत्मविश्वास दिखाई पड़ता है।
समूह गठन के पश्चात् गंगा ने जोड़ा ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता से
‘साईं’ उत्पादक समूह के गठन के पश्चात् गंगा को ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता के विषय में जानकारी प्राप्त हुई। ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता स्थानीय व समान विचारधाराओं वाले किसानों और सामाजिक कार्यकताओं का एक स्ववित्तपोषी संगठन है, जो ‘उत्तरांचल स्वायत्त सहकारिता अधिनियम – 2003’ के अंतर्गत पंजीकृत है।
‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता का लक्ष्य स्थानीय स्तर पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षित सदुपयोग, आधुनिक तकनीकों के प्रयोग से कृषि आधारित व्यावसायिक व औद्योगिक समृद्धिकरण के माध्यम से पर्वतीय क्षेत्र के युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है, ताकि पर्वतीय क्षेत्र से ग्रामीण युवाओं के पलायन को रोका जा सके और पर्वतीय जनों की जीवनशैली में आवश्यक बदलाव लाया जा सके।
महिलाओं को जड़ी-बूंटी उत्पादन, सब्जी उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन, उत्पाद निर्माण एवं बाजारीकरण बिषय पर प्रशिक्षित किया
गंगा ने अपने समूह की महिलाओं को ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता में सदस्यता दिलवाई और उनकी क्षमता का विकास करने के लिए उन्हें सहकारिता से प्रशिक्षण भी दिलवाया। महिलाओं को जड़ी-बूंटी उत्पादन, सब्जी उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन, उत्पाद निर्माण, एवं बाजारीकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षित किया गया।
गंगा के प्रयासों से उत्पादक समूह के सदस्यों के साथ-साथ क्षेत्र के किसानों तथा अन्य स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता को कच्चा माल आपूर्ति करने का कार्य किया जा रहा है, जिसके बदले सहकारिता द्वारा उन्हें उनके उत्पाद का उचित मूल्य नकद अथवा बैंक खाते के माध्यम से पारदर्शितापूर्वक भुगतान कर दिया जाता है।
वर्तमान में ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता द्वारा खाद्य प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन, गौड़ उत्पाद निर्माण, उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकिजिंग, तथा विपणन का कार्य किया जा रहा है। गंगा के नेतृत्व में समूह की अन्य प्रशिक्षित महिलाओं द्वारा खाद्य प्रसंस्करण का कार्य किया जा रहा है।
महिलाओं के सहयोग से ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता द्वारा बेहतर खाद्य उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं
महिलाओं के सहयोग से ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता द्वारा बेहतर खाद्य उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं, जिनमें बुरांश का जूस, माल्टा का जूस, नींबू का जूस, कृष्ण फल (पैशन फ्रूट) का जूस, सेब का सिरका (एप्पल साइडर विनेगर), पहाड़ी फलों का जाम, आम का अचार, लहसुन का अचार, आंवले का अचार, हर्बल चाय, जड़ी-बूंटी उत्पाद, पहाड़ी मसाले, पहाड़ी अनाजों का आटा, पहाड़ी दालें मुख्य हैं।
गंगा क्षेत्र के किसानों, महिलाओं तथा ‘अलख’ स्वायत्त सहकारिता के मध्य एक स्वैच्छिक समन्वयक की भूमिका भी निभा रही हैं।